
देहरादून: उत्तराकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण इन दिनों में माघ मेले की तैयारियों में जुटे हैं। वहीं, दूसरी ओर उनके खिलाफ कुछ जिला पंचायत सदस्य राजधानी देहरादून में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में धरना दे रहे हैं। जिला पंचायत उत्तरकाशी लगातार चर्चाओं में है। केवल दीपक बिजल्वाण के कार्यकाल में ही नहीं। बल्कि, उससे पहले के जिला पंचायत अध्यक्षों के कार्यकाल भी विवादों में रह चुका है।
भाजपा दफ्तर में धरना देने वाले जिला पंचायत सदस्यों को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि धरने पर बैठे सदस्यों में से ऐसे कौन कौन से सदस्य हैं जो भाजपा के पार्टी मेंबर हैं। इन चेहरों में कुछ ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। तब भाजपा उम्मीदवार ने भी पार्टी के ही कुछ पदाधिकारियों पर उनके विरोध में काम करने और भितरघात का आरोप लगाया था। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा का ही कोई पदाधिकारी इनको समर्थन तो नहीं कर रहा है। इसी तरह के सवाल सोशल मीडिया में भी तैर रहे हैं?
जब से दीपक बिजल्वाण जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। कार्यकाल के एक साल के भीतर ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। आरोप लगाने वाले जिला पंचायत सदस्यों के ग्रुप को भाजपा के तब के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत लीड कर रहे थे। सभी जानते हैं कि नकल माफिया हाकम सिंह रावत अब जेल में बंद हैं।
उनकी संपत्ति जब्त करने की तैयारी हो चुकी है। कुछ संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है। खैर…आरोपों की जिलाधिकारी से कराई गई, जो पंचायत एक्ट के तहत गलत थी। बाद में कमीश्नर ने जांच की, जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष को क्लीन चिट दी गई थी।
हालांकि, उस जांच रिपोर्ट में प्रशासनिक अधिकारियों को जरूर दोषी ठहराया गया था। सदस्यों के लगातार दबाव के कारण ठीक उस वक्त सरकार ने दीपक बिजल्वाण को पद से हटा दिया, जब वो कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे थे। इस चुनाव में दीपक बिजल्वाण को हार जरूर मिली, लेकिन वो एक मजबूत चेहरे के रूप में उभरकर सामने आए। उन्होंने सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उनको वहां से बड़ी राहत मिली। उनको फिर से पद पर बहाल कर दिया गया।
सरकार ने एक बार फिर एक और जांच कराने की ठानी और जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया। एसआईटी ने लंबी जांच के बाद वित्तीय गड़बड़ी की बात कही। लेकिन, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण का कहना है कि जिस बिन्दु पर उनको एसआईटी की जांच में गलत ठहराया जा रहा है।
उस बिन्दु पर पहले ही हाईकोर्ट फैसला दे चुका है। उनका कहना है कि उन्होंने सभी जांचों में सहयोग किया। उनसे जो भी दस्तावेज मांगे गए। जब भी जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया, वे हर वक्त तैयार रहे।
अब फिर से कुछ सदस्यों ने पहले कोर्ट में दीपक बिजल्वाण के खिलाफ कोर्ट के उनको बहाल किए जाने के फैसले पर कैविये दाखिल किया, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट से एक बार फिर दीपक को राहत मिली है। इससे परेशान जिला पंचायत सदस्यों का ग्रुप दूसरी रणनीति पर काम करने लगा और भाजपा कार्यालय में धरने पर बैठ गए।
दीपक का कहना है कि धरने पर बैठने वालों के बारे में भाजपा वाले भी अच्छी तरहर से जानते हैं। इसमें कुछ भाजपा के सदस्यों का साथ नहीं मिला है। जबकि, कुछ ऐसे सदस्स भी हैं, जो भाजपा के सदस्य नहीं रहे हैं। लेकिन, उनके खिलाफ जांच में वो जरूर भाजपाई बनते फिर रहे हैं।
सवाल यह है कि पिछले चार साल में उत्तरकाशी जिला पंचायत में केवल और केवल विवाद चल रहा है। दरअसल, यह लड़ाई भ्रष्टाचार के अलावा अध्यक्ष की कुर्सी की भी है। पहले पूरा ग्रुप हाकम सिंह को अध्यक्ष बनाने की सोच रहा था।
उनको जिले के कुछ ऐसे लोगों का भी साथ मिला, जो उसके जरिए अपने फायदे तलाश रहे थे। हाकम के जेल जाते ही उनके सपने टूट गए। उसके बाद एक फिर इस तरह की बातें सामने आने लगीं कि अब जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। लेकिन, हुआ कुछ नहीं। पूरा प्लान फिर फेल हो गया।
दीपक बिजल्वाण का कहना है कि इन सदस्यों ने जिले की जनता के विकास को रोकने का काम किया है। ये सभी अपने फयदों के लिए ही विरोध कर रहे हैं। इनकी नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर है। उनका कहना है कि सभी तरह की जांच हो चुकी हैं। अब लोगों को भी समझना चाहिए कि आखिर ये लोग पूरे जिले को बदनाम करने पर क्यों तुले हैं।
उन लोगों को विरोध किया जाना चाहिए, जो जिले को बदनाम कर रहे हैं। देश-प्रदेश में बार-बार धरनों के दबाव में जांचों के बाद भी दीपक बिजल्वाण को हर बार कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ऐसे ही किसी को राहत नहीं देता है। कुछ तो तथ्य और प्रमाण दीपक कोर्ट के सामने रख रहे होंगे, जिनके आधार पर उनको हर बाद राहत मिल जाती है।
बिजल्वाण का यह भी कहना है कि ये लोग अपने फायदे के लिए न्यायपालिका को भी बदनाम कर रहे हैं। और तो और अब सरकार के मंत्रियों को भी बदनाम करने पर तुले हैं। पहले अरविंद पांडे को बदनाम किया गया और अब किसी और का नाम ले रहे हैं। सवाल यह है कि कोर्ट से लेकर तमाम जांच एजेंसियां झूठी और भ्रष्टाचारी हैं। लेकिन, जिला पंचायत की कुर्सी हथियाने की फिराक में बैठे आठ-दस लोग ही पूरे प्रदेश में इमानदार हैं।